"ગુમનામ"
Saturday 17 January 2015
मैं...
जिस्म हु मैं
,
रूह भी मैं..
सन्नाटा भी मैं
,
तूफ़ान भी मैं..
दिलेरवी हु
,
दिलदार भी हु..
गवार भी मैं
,
पंडित भी मैं..
मैं हु ब्रम्ह...
मैं था
,
मैं हु
,
और मैं ही रहूँगा...
- चेतन सोलंकी 'गुमनाम'
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